अनुसंधान में हाल में हुई प्रगति के कारण यह पता चला है कि दुर्लभ बुखार आनुवंशिक खराबी के कारण होते है। इनमंे से कई तरह के बुखार से परिवार के अनेक सदस्य भी पीड़ित हो सकते है।
इस का अर्थ है कि जीन में अचानक बदलाव या परिवर्तन हो गया है। परिवर्तित जीन के कार्य को बदल देता है और वह शरीर को गलत संकेत देता है जिससे बीमारी उत्पन्न होती है। शरीर की हर कोशिका में हर जीनके दो कण होते है। एक कण माँ से आता है और दूसरा पिता से आता है। परिवर्तित जीन की विरासत दो प्रकार से हो सकती हैः
1. रिसेसिवः इस परिस्थिती में दोनो जीन परिवर्तित हैै। माता व पिता दोनों में एक-एक जीन खराब है। वह बीमार नही है क्योंकि बीमारी तभी होती है जब जीन के दोनों कण खराब हों। बच्चे में खराब जीन जाने की संभावना एक चैथाई होती है।
2. ‘डाॅमिनेन्ट: इस प्रकार में केवल एक परिवर्तित जीन ही बीमारी को स्वरूप दे सकती है। किसी भी एक पालक में बीमारी होने से बच्चे में वह बीमारी होने की संभावना 50 प्रतिशत होती है।
ऐसा भी हो सकता है कि माता व पिता में जीन की कोई खराबी ना हो। इस परिस्थिती को जीन में नया परिवर्तन कहा जाता है। यह परिवर्तन माँ के गर्भधारण के सयम होता है। दूसरे संतान में यही परिवर्तन होने की सम्भावना नही के बराबर है किन्तु पिड़ीत संतान के बच्चें में यह दोष पाये जाने की संभावना डाॅमिनेन्ट विरासत के समान (50 प्रतिशत) होती है।
परिवर्तित जीन का असर एक विशिष्ट प्रकार के प्रोटीन के उत्पादन व कार्यशैली पर पड़ता है। यह असामान्य प्रोटीन प्रदाह को प्रोत्साहित करता है जिससे पिड़ीत व्यक्ति मेे बुखार उत्पन्न होता है। प्रदाह को प्रोत्साहित करने की प्रक्रिया सामान्य व्यक्ति में नही हो पाती।